Ad Code

Responsive Advertisement

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6

 

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 6 कीचड़ का काव्य

    पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

मोखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उन एक दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
रा की शोभा ने क्या कर दिया?
उत्तर:
लाल रंग (लालिमा) ने उत्तर दिशा में कुछ देर के लिए फैलकर उस दिशा की सुंदरता में वृद्धि कर दिया था।

प्रश्न 2.
बादले किसकी तरह हो गए थे?
उत्तर:
बादल सफेद पूनी अर्थात् सफेद कपास की तरह हो गए।

प्रश्न 3.
लोग किन-किन चीजों का वर्णन करते हैं?
उत्तर:
लोग आकाश, पृथ्वी और जलाशयों का सौंदर्य देखते हैं और उन्हीं का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 4.
कीचड़ से क्या होता है?
उत्तर:
कीचड़ से, तन तथा कपड़े मैले होते हैं।

प्रश्न 5.
कीचड़ जैसा रंग कौन लोग पसंद करते हैं?
उत्तर:
कीचड़ जैसा रंग कला-प्रेमी और फोटोग्राफर पसंद करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग पुस्तक के गत्तों, दीवारों और वस्त्रों का रंग कीचड़ जैसा पसंद करते हैं।

प्रश्न 6.
नदी के किनारे कीचड़ कब सुंदर दिखता है?
उत्तर:
नदी के किनारे का कीचड़ तब बहुत सुंदर प्रतीत होता है, जब वह सूखकर ठोस हो जाता है तथा उसमें दरारें पड़ जाती हैं।

प्रश्न 7.
कीचड़ कहाँ सुंदर लगता है?
उत्तर:
गंगा या सिंधु के किनारों के अलावा, खंभात की खाड़ी तथा मही नदी के मुहाने पर दूर-दूर तक फैला कीचड़ सुंदर लगता है।

प्रश्न 8.
‘पंक’ और ‘पंकज’ शब्द में क्या अंतर है?
उत्तर:
‘पंक’ का अर्थ है-कीचड़। पंकज’ का अर्थ है-कमल का फूल। पंक से ही पंकज उत्पन्न होता है। इसलिए उनमें पिता-पुत्र का संबंध है।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति क्यों नहीं होती?
उत्तर:
कीचड़ के प्रति किसी को सहानुभूति इसलिए नहीं होती क्योंकि वे बाह्य सौंदर्य देखने के आदी हैं। वे कीचड़ को गंदगी का प्रतीक मानते हुए उससे बचकर चलते हैं। वे कीचड़ को शरीर और कपड़े गंदे करने वाला मानते हैं।

प्रश्न 2.
जमीन ठोस होने पर उस पर किनके पदचिह्न अंकित होते हैं?
उत्तर:
ज़मीन ठोस होने पर अनेक पशु उस पर आकर चहलकदमी करते हैं तथा उछल-कूद करते हैं। इन पशुओं में प्रमुख हैं-गायें, भैंसें, बैल, पाडे, भेड़े और बकरियाँ। भैसों के पाड़े तो इस ठोस जमीन पर खूब कुश्ती करते हैं।

प्रश्न 3.
मनुष्य को क्या भान होता जिससे वह कीचड़ का तिरस्कार न करता?
उत्तर:
मनुष्य को यदि यह भान होता है कि जिस भोजन को खाने से उसका पेट भरता है उसका स्रोत अन्न उसी कीचड़ में पैदा होता है, जिसे वह गंदा समझता है, तो वह कभी कीचड़ का तिरस्कार न करता।

प्रश्न 4.
पहाड़ लुप्त कर देने वाले कीचड़े की क्या विशेषता हैं?
उत्तर:
खंभात में माही नदी के सामने जो विशाल और अति गहरा कीचड़ फैला हुआ है, उसमें पूरे का पूरा पहाड़ ही लुप्त हो सकता है। आशय यह है कि यह कीचड़ जमीन के नीचे बहुत गहराई तक है।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
कीचड़ का रंग किन-किन लोगों को खुश करता है?
उत्तर:
कीचड़ का रंग कलाभिज्ञों, चित्रकारों, मूर्तिकारों के अलावा जनसाधारण को भी अच्छा लगता है। कलाभिज्ञ पके हुए मिट्टी के बर्तनों पर यही रंग देखना चाहते हैं। छायाकार फ़ोटो खींचते समय फ़ोटो में एक दो स्थान पर इसका रंग देखना चाहते हैं, इस रंग से वे खुश होते हैं। इसके अलावा जनसाधारण पुस्तकों के गत्तों, अपने घर की दीवारों, अपने कीमती वस्त्रों का रंग कीचड़ जैसा देखना चाहते हैं। इससे वे खुश होते हैं।

प्रश्न 2.
कीचड़ सूखकर किस प्रकार के दृश्य उपस्थित करता है?
उत्तर:
कीचड़ सूखकर टुकड़ों में बँट जाता है। अधिक गरमी के कारण उन टुकड़ों में दरारें पड़ जाती हैं। तब वे नदी के किनारे फैले हुए ऐसे प्रतीत होते हैं मानो दूर-दूर तक खोपरे सूखने के लिए पड़े हों। कीचड़ के अधिक सूखने पर उस पर पशु चलते हैं तथा किल्लौल करते हैं। तब उनके पैरों के निशानों से अद्भुत शोभा अंकित हो जाती है। यों लगता है मानो उन पर अभी-अभी भैंसों के कुल का महाभारत लड़ा गया हो।

प्रश्न 3.
सूखे हुए कीचड़ का सौंदर्य किन स्थानों पर दिखाई देता है?
उत्तर:
सूखे कीचड़ का सौंदर्य हमें तालाबों के किनारे, गंगा और सिंधु जैसी नदियों के विस्तृत किनारों के मीलों-मील फैले क्षेत्रों में दिखाई देता है। इसके अलावा खंभात की खाड़ी और मही नदी के मुँह से आगे, जहाँ तक हम देख पाते हैं, तक कीचड़ का सौंदर्य दिखता है।

प्रश्न 4.
कवियों की धारणा को लेखक ने युक्ति शून्य क्यों कहा है?
उत्तर:
लेखक ने कवियों की धारणा को युक्ति शून्य ठीक ही कहा है। वे बाहरी सौंदर्य पर ध्यान देते हैं, किंतु आंतरिक सौंदर्य और उपयोगिता को बिल्कुल नहीं देखते। ये कविजन कीचड़ में उगने वाले कमल को तो बहुत सम्मान देते हैं किंतु कीचड़ का तिरस्कार करते हैं। वे केवल अपने काम की, सौंदर्य की और प्रत्यक्ष. महत्त्व की बात का आदर करते हैं किंतु उन्हें उत्पन्न करने वाले कारणों का सम्मान नहीं करते।

(ग) निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
नदी किनारे अंकित पदचिह्न और सींगों के चिह्नों से मानो महिषकुल के भारतीय युद्ध का पूरा इतिहास ही इस कर्दम लेख में लिखा हो ऐसा भास होता है।
उत्तर:
आशय- नदी के किनारे का गीला कीचड़ जब सूखकर ठोस हो जाता है तो मद में डूबे पाड़े अपने सींगों से कीचड को रौंदकर आपस में लड़ते हैं। इससे उस कीचड़ में उन पाड़ों के सींगों और पैरों के चिह्न अंकित हो जाते हैं। इन अनगिनत पदचिह्नों को देखकर ऐसा लगता है जैसे महिषकुल में अब तक जितने भी भारतीय युद्ध हुए हैं, उनका इतिहास इस कीचड़ में लिख उठा है।

प्रश्न 2.
“आप वासुदेव की पूजा करते हैं इसलिए वसुदेव को तो नहीं पूजते, हीरे का भारी मूल्य देते हैं किंतु कोयले या पत्थर का नहीं देते और मोती को कंठ में बाँधकर फिरते हैं किंतु उसकी मातुश्री को गले में नहीं बाँधते!” कम-से-कम इस विषय पर कवियों के साथ तो चर्चा न करना ही उत्तम!
उत्तर:
कविजन मनमानी करते हुए पंक से उत्पन्न कमल की तो प्रशंसा करते हैं किंतु पंक को महत्त्व नहीं देते। वे अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहते हैं-पंकज की प्रशंसा करना ठीक ही है। हम लोग वासुदेव कृष्ण की पूजा करते हैं किंतु इस कारण वसुदेव की तो पूजा नहीं करते। इसी प्रकार हम हीरे को बहुत मूल्यवान मानते हैं किंतु उसके जनक पत्थर या कोयले की तो प्रशंसा नहीं करते। इसी प्रकार मोती को गले में डालते हैं किंतु उसकी जननी सीपी को गले में धारण नहीं करते।
लेखक कवियों के इन अकाट्य तर्को से तंग आकर कहता है-कीचड़ की प्रशंसा करने के बारे में कम-से-कम इन कवियों से बात ही न की जाए तो अच्छा है। ये अपनी मनमानी करते हैं। इन्हें जो भा गया, सो भा गया। उसके आगे वे किसी की नहीं सुनते।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के तीन-तीन पर्यायवाची शब्द लिखिए-

  1. जलाशय      …………………           …………………           …………………
  2. सिंधु            …………………           …………………           …………………
  3. पंकज          …………………           …………………           …………………
  4. पृथ्वी            …………………          …………………           …………………
  5. आकाश       …………………           …………………           …………………

उत्तर: 

  1. जलाशय – सरोवर, सर, तड़ाग, पुष्कर, पोखर।
  2. सिंधु – सागर, समुद्र, रत्नाकर, जलनिधि, जलधि।
  3. पंकज – कमल, नीरज, वारिज, जलज।
  4. पृथ्वी – धरती, धरा, भू, वसुधा, धारयित्री।
  5. आकाश – गगन, नभ, व्योम।।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित वाक्यों में कारकों को रेखांकित कर उनके नाम भी लिखिए

  1. कीचड़ का नाम लेते ही सब बिगड़ जाता है। ……………………
  2. क्या कीचड़ का वर्णन कभी किसी ने किया है। ……………………
  3. हमारा अन्न कीचड़ से ही पैदा होता है।  ……………………
  4. पदचिह्न उस पर अंकित होते हैं।  ……………………
  5. आप वासुदेव की पूजा करते हैं।  ……………………

उत्तर:

  1. का (संबंध कारक)
  2. का (संबंध कारक) ने। (कर्ता कारक)
  3. से (अधिकरण कारक)
  4. पर (अधिकरण कारक)
  5. की (कर्म कारक)

प्रश्न 3.
निम्नलिखित शब्दों की बनावट को ध्यान से देखिए और इनका पाठ से भिन्न किसी नए प्रसंग में वाक्य प्रयोग कीजिए-

  1. आकर्षक
  2. यथार्थ
  3. तटस्थता
  4. कलाभिज्ञ
  5. पदचिह्न
  6. अंकित
  7. तृप्ति
  8. सनातन
  9. लुप्त
  10. जाग्रत
  11. घृणास्पद
  12. युक्तिशून्य
  13. वृत्ति

उत्तर:

  1. आकर्षक – मोर का नृत्य सबको आकर्षक प्रतीत होता है।
  2. यथार्थ – हमें कल्पना नहीं, यथार्थ को महत्त्व देना चाहिए।
  3. तटस्थता – साधु संतों की तटस्थता सज्जनों के लिए शुभ नहीं है।
  4. कलाभिज्ञ – चित्र प्रदर्शनी में बड़े-बड़े कलाभिज्ञ उपस्थित थे।
  5. पदचिह्न – हम महापुरुषों के पदचिह्नों पर चलकर अपना जीवन महान बना सकते हैं।
  6. अंकित  होली के पक्के रंग अब भी मेरे कुरते पर अंकित हैं।
  7. तृप्ति – हिमालय को कितना भी निहारू, तृप्ति नहीं मिलती।
  8. सनातन – शक्तिशाली राजाओं का दबदबा सनातन काल से चला आ रहा है।
  9. लुप्त – आज कितनी ही पशु जातियाँ इस संसार से लुप्त हो चुकी हैं।
  10. जाग्रत – आज भारत अपने विकास के लिए जाग्रत हो चुका है।
  11. घृणास्पद – कीचड़ से लथपथ मनुष्य घृणास्पद प्रतीत होता है।
  12. युक्तिशून्य – सामने खड़े शेर को देखकर मैं युक्तिशून्य हो गया।
  13. वृत्ति – कवियों की वृत्ति मनमानी होती है।

प्रश्न 4.
नीचे दी गई संयुक्त क्रियाओं का प्रयोग करते हुए कोई अन्य वाक्य बनाइए

  1. देखते-देखते वहाँ के बादल श्वेत पूनी जैसे हो गए।
    ……………………………………………………………………………
  2. कीचड़ देखना हो तो सीधे खंभात पहुँचना चाहिए
    ……………………………………………………………………………
  3. हमारा अन्न कीचड़ में से ही पैदा होता है।
    ……………………………………………………………………………

उत्तर:

  1. मेरे देखते-देखते वहाँ भगदड़ मच गई और भयभीत लोगों के चेहरे श्वेत पूनी जैसे हो गए।
  2. सूर्योदय का सौंदर्य देखना हो तो कन्याकुमारी पहुँचना चाहिए
  3. पंकज़ सदा पंक से ही पैदा होता है।

प्रश्न 5.
न, नहीं, मत का सही प्रयोग रिक्त स्थानों पर कीजिए

  1. तुम घरे ………………. जाओ।
  2. मोहन कल ………………. आएगा।
  3. उसे ………………. जाने क्या हो गया है?
  4. डॉटो ………………. प्यार से कहो।
  5. मैं वहाँ कभी ………………. जाऊँगा ।
  6. ………………. वह बोला ……………….. मैं।

उत्तर:

  1. तुम घर मत जाओ।
  2. मोहन कल नहीं आएगा।
  3. उसे  जाने क्या हो गया है?
  4. डाँटो मत प्यार से कहो।
  5. मैं वहाँ कभी नहीं जाऊँगा।
  6. ने वह बोला  मैं।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
विद्यार्थी सूर्योदय और सूर्यास्त के दृश्य देखें तथा अपने अनुभवों को लिखें।
उत्तर:
सूर्योदय की वेला अत्यंत पावन होती है। जब ओंस से गीले वातावरण में सूरज की नम किरणें चौंधियाती हुई आँखों में प्रवेश करती हैं तो सुख का अहसास होता है। पक्षी चहचहाते हैं। ठंडी हवाएँ चलती हैं।
सूर्यास्त के समय आकाश में शांति छा जाती है। रंगबिरंगी किंतु शांत किरणें मन को शांति दे जाती हैं। पक्षी भी कलरव छोड़कर घोंसलों में घुस जाते हैं।

प्रश्न 2.
कीचड़ में पैदा होनेवाली फसलों के नाम लिखिए।
उत्तर:
धान, सिघाडा आदि।

प्रश्न 3.
भारत के मानचित्र में दिखाएँ कि धान की फसल प्रमुख रूप से किन-किन प्रांतों में उपजाई जाती है?
उत्तर:
भूगोल की पुस्तक का सहारा लें। कुछ उदाहरण—बिहार, झारखण्ड, पंजाब, हरियाणा, आँध्र प्रदेश, तमिलनाडु।

प्रश्न 4.
क्या कीचड़ ‘गंदगी’ है? इस विषय पर अपनी कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:

  1. एक छात्र – कीचड़ गंदगी प्रतीत होती है। एक बार कीचड़ में पैर धंस जाए तो घिन आती है।
  2. दूसरा छात्र – परंतु मैं तो रोज ही खेतों की कीचड़ में से गुजरता हूँ। मुझे अच्छा लगता है। इसी कीचड़ में से अन्न पैदा होता है।
  3. तीसरा छात्र – जब मैं किसी मजदूर को गारे और कीचड़ में सना देखता हूँ तो मेरा मन भी करता है कि उस कीचड़ ‘ में घुसकर काम करूं। मुझे अच्छा लगता है।
  4. चौथा छात्र – परंतु जब बारिश के बाद अपनी गली के गंदे कीचड़ में से गुजरता हूँ तो घिन आती है।

Post a Comment

0 Comments